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File System क्या है और कितने प्रकार के होते हैं?

यदि आप computer background से हैं तो शायद आपको ये पता हो की फाइल सिस्टम क्या है और कितने प्रकार के होते हैं? यदि नहीं तब भी चिंता करने की कोई बात नहीं है क्यूंकि आज हम computer की यह File System क्या होता है और उससे जुडी सभी चीजों के विषय में जानेंगे.

Computers में कुछ प्रकार के file systems (जिन्हें की short में FS भी कहा जाता है) जिनकी मदद से data को store और organize किया जाता है storage media में, जैसे की Hard Drive, CDs, DVDs, optical drive या flash drive (pendrive) में.

एक file system को आप एक index या database के तरह सोच सकते हैं जिसमें की hard drive या कोई दूसरी storage device की सभी data की physical location stored रहती है. इसमें data usually organized होता है folders में जिन्हें की directories कहा जाता है, और इसमें दुसरे folders और files भी होते हैं.

कोई भी जगह जहाँ की एक computer या कोई दूसरा electronic device data को store करती है, वहां पर किसी न किसी प्रकार का file system का इस्तमाल होता है. इसमें आपका Windows computer, आपका Mac, Smartphone, Bank की ATM… यहाँ तक की आपके car में स्तिथ computer भी शामिल हैं.

यदि आप भी इन फाइल सिस्टम क्या होते हैं और इनके प्रकार के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तब आपको यह article फाइल सिस्टम इन कंप्यूटर जरुर से एक बार तो पूरा पढ़ना चाहिए, इससे आपके मन में स्तिथ सभी doubts article ख़त्म होने तक और नहीं रहेंगे. तो फिर बिना देरी किये चलिए आगे बढ़ते हैं.

फाइल सिस्टम क्या है – What is File System in Hindi

File System Kya Hai Hindi

प्रत्येक computer system में सभी चीज़ों को files के हिसाब से store किया जाता है. ये files मुख्य रूप से या तो data files होते हैं या फिर application files. हरेक operating system का अपना ही तरीका होता है data को organize करने का वो भी internally.

यहाँ पर operating system इस management को perform करता है एक program की मदद से जिसे की File System कहा जाता है. यहाँ पर file system की type ही ये तय करती है की कैसे data और programs को access किया जाये. साथ में ये यह भी determine करती है की users के पास किस level की accessibility available होती है.
फाइल सिस्टम क्या होते हैं?

एक computer में, एक file system – जिसे की लिखा जाता है filesystem – ये एक तरीका होता है जहाँ की files को name किया जाता है और जहाँ उन्हें place किया जाता है logically storage और retrieval के लिए.

बिना एक file system के, stored information को isolate करना individual files में कठिन काम है और ऐसे में उन्हें identify कर retrieve करना और भी कठिन हो जाता है. जैसे जैसे data capacities increase होती है, तब उनकी organization और individul files की accessibility और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है data storage में.

Digital file systems और files को यह नाम और ऐसे modelled किया गया केवल paper-based filing systems के बाद ही वो भी समान logic-based method का इस्तमाल कर documents को store कर और retrieve कर.

File systems अलग होते हैं अलग अलग operating systems (OS) में, जैसे की Microsoft Windows, macOS और Linux-based systems में. कुछ file systems को design किया गया होता है कुछ specific applications के लिए. वहीँ Major types की file systems में होते हैं distributed file systems, disk-based file systems और special-purpose file systems.

फाइल सिस्टम का Architecture

हर File System में दो या तीन परतें (layers) होती हैं. कभी-कभी File System में सभी परतें (layers) स्पष्ट रूप से अलग अलग हो जाती हैं, और कभी-कभी सभी layer के फ़ंक्शन को संयुक्त करके एक layer में कर दिया जाता है. ये उस कार्य के ऊपर निर्भर करता है की इसे कैसे किया जाये.

1. Logical file system – ये फाइल सिस्टम यूजर एप्लीकेशन से सम्बंधित होता है, जैसे किसी एप्लीकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत फाइल को ओपन (OPEN) करके उसके डाटा को रीड (READ) करना और फिर फाइल को क्लोज (CLOSE) करने के लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस (Application Program Interface) प्रदान करवाता है. यह लेयर फाइल एक्सेस, डायरेक्टरी सम्बंधित कार्य और सुरक्षा सम्बंधित ऑपरेशन उपलब्ध करवाता है.

2. Virtual file system (optional) – यह लेयर हर फाइल सिस्टम में मौजूद हो ऐसा जरुरी नहीं है, इस लेयर का प्रयोग वर्चुअल फाइल को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है.

3. Physical file system – यह लेयर स्टोरेज डिवाइस (जैसे डिस्क) के भौतिक संचालन से संबंधित है. यह पढ़ने या लिखे जाने वाले भौतिक ब्लॉकों को संसाधित करता है. यह बफरिंग और मेमोरी मैनेजमेंट को हैंडल करता है और स्टोरेज माध्यम पर विशिष्ट स्थानों में ब्लॉक के भौतिक स्थान के लिए जिम्मेदार है. भौतिक फ़ाइल सिस्टम डिवाइस ड्राइवर्स के साथ या स्टोरेज डिवाइस को चलाने के लिए चैनल के साथ इंटरैक्ट करता है.

File Systems कैसे काम करते हैं?

एक file system जो की data को store और organize करता है, उसे हम एक ऐसे index का type समझ सकते हैं जो की storage device के सभी data को index करती है. ये devices कुछ भी हो सकते हैं जैसे की hard drives, optical drives और flash drives.

File systems बहुत सी चीज़ों को specify करती है जैसे की files की naming, किसी नाम में maximum number की characters को रखना, कौन सी characters का इस्तमाल किया जा सकता है, और ऐसे बहुत कुछ. क्यूंकि बहुत से file systems में file names case sensitive नहीं होता है.

File के साथ साथ, file systems बहुत से अलग information भी रखती है जैसे की file की size, उसके attributes, location और hierarchy directory में और metadata में भी.

Metadata बड़ी ही आसानी से identify कर सकती है free blocks की available storage उस drive में और कितनी space अभी available है.

एक file system में एक format भी included होता है जो की ये specify करता है file तक का path उसकी directory के structure से. एक file को place किया जाता है एक directory में – या एक folder में Windows OS के – या subdirectory के एक desired place में वो भी एक tree structure में.

PC और mobile operating systems की file systems में files को place किया जाता है एक hierarchical tree structure में.

Storage Medium में files और directories को create करने से पहले, partitions को सही जगहों में पहले रखना चाहिए. एक partition ऐसा region होता है hard disk का या किसी दुसरे storage का जिसे की OS separately manage करता है.

एक file system रखा जाता है primary partition में, और कुछ OSes तो एक ही disk में multiple partitions को allow करती हैं. ऐसे situation में, अगर एक file system corrupt हो जाता है, तब दुसरे partition में स्तिथ data पूरी तरह से safe होती है.

फाइल सिस्टम के प्रकार (Operating Systems के हिसाब से)

वैसे तो File Systems के बहुत से प्रकार मेह्जुद हैं, सभी के अलग अलग logical structures और properties, जैसे की speed और size. ये file system के प्रकार Os के हिसाब से अलग हो सकते हैं या फिर OS के जरूरतों के हिसाब से.

तीन सबसे common PC operating systems हैं Microsoft Windows, Mac OS X और Linux. वहीँ Mobile Operating System में Apple iOS और Google Android शामिल हैं.

वहीँ यहाँ आगे हम इन Major file systems के विषय में ही जानेंगे:
1. File allocation table (FAT)

यह File System को support करता है Microsoft Windows OS. FAT को बहुत ही simple और reliable consider किया जाता है, और इसे modeled किया गया है legacy file systems के बाद ही.

FAT को सन 1977 में design किया गया था floppy disks के लिए, लेकिन बाद में इन्हें hard disks के लिए भी adapt कर लिया गया. जहाँ ये बहुत ही efficient और compatible होता है प्राय सभी current OSes के साथ, वहीँ FAT अभी के modern file systems के साथ match नहीं कर सकता है उनके performance और scalability को अगर तुलना किया जाये तब.
2. Global file system (GFS)

यह file system मुख्य रूप से Linux OS में इस्तमाल किया जाता है. यह एक shared disk file system होता है. GFS offer करता है direct access shared block storage को और साथ में इसे एक local file system के हिसाब से भी इस्तमाल किया जा सकता है.

GFS2 एक updated version है Original GFS का, इसमें ऐसे features मेह्जुद हैं जो की आपको original GFS में देखने को नहीं मिल सकते हैं, जैसे की एक updated metadata system. GNU General Public License के तहत, दोनों GFS और GFS2 file systems available होते हैं एक free software के हिसाब से.
3. Hierarchical file system (HFS)

इन HFS को developed किया गया था Mac operating systems में इस्तमाल करने के लिए. HFS को refer किया जाता है एक Mac OS Standard के तोर पर, वहीँ इनके बाद Mac OS Extended ने उनका स्थान लिया.

इसे Originally introduce किया गया था सन 1985 में वो भी floppy और hard disks के लिए, HFS ने पूरी तरह से original Macintosh file system को replace कर दिया. वहीँ इसे CD-ROMs में भी इस्तमाल किया जा सकता है.
Windows File System के प्रकार

यूँ तो Windows File Systems के भी बहुत से प्रकार मेह्जुद हैं लेकिन उनमें भी कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. तो चलिए उन्ही के विषय में जानते हैं.
1. FAT File System

FAT का full form होता है “File Allocation Table”. File Allocation Table (FAT) एक ऐसा file system होता है जिसे की create किया गया है Microsoft के द्वारा सन 1977 में.

इस file allocation table का इस्तमाल किया जाता है operating system के द्वारा files को locate करने के लिए disk में. एक file को divide किया जा सकता है बहुत से sections में और scattered भी किया जा सकता है disk के चारों तरफ fragmentation के कारण. FAT एक file के सभी pieces के विषय में track रखती है.

DOS systems में, FAT को store किया जाता है boot sector के बाद. इन file system का इस्तमाल PC के आने के बाद से ज्यादा होने लगा.

FAT अभी भी एक preferred file system के तोर पर इस्तमाल होता है वो भी floppy drive media और portable, high capacity storage devices जैसे की flash drives और दुसरे solid-state memory devices जैसे की SD cards में.

FAT File System के Features क्या हैं?

चलिए अब कुछ important features के विषय में जानते हैं FAT File System के
Naming Convention

1. FAT file system जो की MS-DOS के द्वारा इस्तमाल में लाया जाता था वो केवल 8 characters long वाले file name ही प्रदान करता था.

2. FAT file system जो की Windows 2000 के द्वारा इस्तमाल में लाये जाते थे वो long filename support करते थे.
यहाँ पर file including filename के full path करीब 255 characters long तक ये support करते थे.

3. इसमें File names में कोई भी character इस्तमाल हो सकते हैं except “/ [] =, ^?a “”

4. File names की शुरुवात एक alphanumeric characters से होनी चाहिए.

5. File names में spaces और multiple periods का इस्तमाल हो सकता है. इसमें characters वो भी last period के बाद वाले को file extension के तरह समझा जाता है.
Security

FAT न ही local और न ही folder security प्रदान करती है. एक user जो की computer में logged on हो locally तब उसके पास सभी files और folders का full access होता है जो की computer के FAT partitions में होते हैं.
Files तक Quick Access का होना

FAT प्रदान करता है files तक quick access. File access की speed निर्भर करती है file type, file size, partition size, fragmentation और number of files जो की folder में होते हैं.
2. FAT32 File System

FAT32 एक advanced version है FAT file system का. ये उन drives में इस्तमाल किया जा सकता है जिनकी memory 512 MB से 2TB तक की size की हो. एक बहुत ही महत्वपूर्ण feature है FAT और FAT32 की वो offer करती है compatibility दुसरे operating systems के साथ भी जो की Windows 2000 से अलग ही क्यूँ न हो.
FAT32 File System की Features क्या है?

चलिए अब FAT32 के features के विषय में जानते हैं,
Partition Size

FAT32 increase करती है number of bits जिनका इस्तमाल होता है cluster को address करने के लिए.

एक cluster set of sectors को कहा जाता है. ये प्रत्येक cluster की size को reduce करते हैं. ये support करता है larger disk (up to 2TB) और प्रदान करता है बेहतर storage efficiency.
Access Speed

FAT32 प्रदान करता है बेहतर file access, उन partition में जिनकी sizes 500 MB से कम होती है या 2GB से बड़ी होती है ये बेहतर disk space utilization प्रदान करती है.
FAT File Systems के प्रकार

FAT File Systems के भी बहुत ही प्रकार हैं, चलिए उनके विषय में जानने की कोशिश करते हैं.
FAT12 (12-bit File Allocation Table)

ये एक बहुत ही ज्यादा इस्तमाल किया जाने वाला version था FAT file system का. FAT12, को introduce किया गया था 1980 में, ठीक DOS के पहले versions के साथ.

FAT12 Microsoft Operating Systems का primary file system MS-DOS 3.30 तक लेकिन बाद में भी इसका इस्तमाल किया गया MS-DOS 4.0 में. FAT12 को इस्तमाल होते हुए आप शायद देख भी सकते हैं किसी floppy disk में.

FAT12 support करता है drive sizes और file sizes up to 16 MB तक जिसमें ये 4 KB clusters या 32 MB में 8 KB clusters का इस्तमाल करते हैं. एक single volume में maximum number 4,084 files ही हो सकती है (जब हम 8KB clusters का इस्तमाल करें तब).

File names जो की FAT12 के अंतर्गत आते हैं वो character limit (8 characters) को exceed नहीं कर सकते हैं, plus 3 extension के लिए.

FAT12 में सबसे पहले बहुत से file attributes को introduce किया गया था जो की हैं hidden, read-only, system, और volume label.
FAT16 (16-bit File Allocation Table)

FAT की second implementation थी FAT16, जिसे की introduce किया गया सन 1984 में PC DOS 3.0 और MS-DOS 3.0 में.

वहीँ उससे थोडा slightly ज्यादा improved version FAT16 का, उसे नाम दिया गया FAT16B, वो primary file system बन MS-DOS 4.0 से लेकर MS-DOS 6.22 तक.

वहीँ MS-DOS 7.0 और Windows 95 की शुरुवात में, एक further improved version, जिसे कहा गया FAT16X, इसका इस्तमाल होने लगा.

Operating System और उसमें इस्तमाल हुआ cluster size को देखकर, maximum drive size एक FAT16-formatted drive को range किया गया 2 GB से लेकर 16 GB तक, वहीँ बाद वाला को केवल Windows NT 4 में इस्तमाल किया गया वो भी 256 KB clusters के साथ.

FAT16 में file size drive करती है max 4 GB तक वो भी Large File Support enabled होकर, या केवल 2 GB उसके बिना.

Maximum number की files जिन्हें की एक FAT16 volume में hold किया जा सकता है वो हैं 65,536. FAT12 के तरह ही, file names को limit में रखा गया है 8+3 characters लेकिन इन्हें extend किया जा सकता है 255 characters तक वो भी Windows 95 के साथ.

FAT16 में ही सबसे पहले archive file attribute को introduce किया गया.
FAT32 (32-bit File Allocation Table)

FAT32 ये एक latest version है FAT file system की. इसे सबसे पहले introduce किया गया सन 1996 वो भी Windows 95 OSR2 / MS-DOS 7.1 users के लिए, और ये primary file system रहा consumer के लिए जो की Windows versions का इस्तमाल करते थे Windows ME तक.

FAT32 support करता है basic drive sizes up to 2 TB और high में करीब 16 TB तक लेकिन 64 KB clusters के साथ.

FAT16 के तरह ही, FAT32 में file sizes drives max out करती है 4 GB जो की Large File Support करती है जब उसे turned on किया गया होता है या 2 GB उसके बिना.

FAT32 का एक modified version है FAT32+, जो की support करता है files जिनकी size करीब 256 GB तक होती है!

Up to 268,173,300 files को एक FAT32 volume रख सकता है, जब तक की वो 32 KB clusters का इस्तमाल कर रहे हों.
exFAT (Extended File Allocation Table)

exFAT, को सबसे पहले introduce किया गया सन 2006 में, Microsoft के द्वारा. वैसे ये FAT32 का next version नहीं था.

exFAT को primarily portable media devices में इस्तमाल करने के लिए बनाया गया था जैसे की flash drives, SDHC और SDXC cards, इत्यादि.

exFAT officially support करता है portable media storage devices up to 512 TiB की size लेकिन theoretically ये support कर सकता है drives को जिनकी size 64 ZiB तक की हो, जो की सच में एक बहुत ही बड़ा available size होता है.

ये Native support करता है 255 character filenames तक और support करता है करीब 2,796,202 files per directory में. ये ही इसके दो noteworthy features हैं इस exFAT system की.

यह exFAT file system को लगभग सभी versions के Windows (older ones with optional updates) support करते हैं, Mac OS X (10.6.5+), इसके साथ बहुत से TV, media, और दुसरे devices.
NTFS File System

NTFS का Full Form होता है “New Technology File System”. Windows 2000 professional fully support करता है NTFS को.

चलिए अब इसकी कुछ characteristics के विषय में जानते हैं.
NTFS File System की Features क्या हैं?

यहाँ आगे हम NTFS File System की कुछ important features के विषय में जानने वाले हैं.
Naming Conventions क्या है

File names इसमें हो सकते हैं up to 255 characters
File names में most characters हो सकते हैं केवल इन्हें “ / < > * | : छोड़कर
इसकी File names case sensitive नहीं होती है.

Security

NTFS प्रदान करती है file और folder security. इसकी Files और folders ज्यादा safe होते हैं FAT की तुलना में. Security को maintain करने के लिए इसमें NTFS permissions को assign किया जाता है files और folders को.

Security को maintain किया जाता है दोनों local level और network-level में भी. इसमें permissions assign किया जा सकता है individual files और folders को. प्रत्येक file और folder के पास NTFS partition में एक Access Control List होता है. इसमें होते हैं users और group security identifier (SID) और वो सभी privileges जो की उन्हें granted किये गए होते हैं.
Partition Size

NTFS partition और file sizes बहुत ही ज्यादा बड़े होते हैं FAT partitions और files की तुलना में. NTFS Partition या File की maximum size 16 Exabyte हो सकती है. लेकिन इसकी practical limitation केवल two Terabytes तक ही होती है. इसमें file size की range 4GB से 64GB तक की होती है.
File Compression

NTFS प्रदान करता है file compression वो भी ज्यादा से ज्यादा 50% तक.
High Reliability

NTFS बहुत ही ज्यादा reliable होता है. ये एक recoverable file system होता है.

ये transaction logs का इस्तमाल करता है file और folders logs automatically update करने के लिए. इस system में बहुत ही ज्यादा fault tolerance सहने की शक्ति है. इसका मतलब की अगर कोई transaction fail होता है power या system failure के कारण, तब logged transactions के इस्तमाल से data को recover किया जा सकता है.
Bad Cluster Mapping

NTFS support करता है bad-cluster mapping. इसका मतलब की file system detect करते हैं bad clusters या disk के उन areas को जिनमें errors होते हैं. अगर उन clusters में कोई data हो, तब उन्हें retrieve कर store कर लिया जाता है एक दुसरे area में.

इन bad clusters को mark कर लिया जाता है जिससे की Future में इन areas में data storage होने से रोका जा सके.
File Systems इतने सारे क्यूँ होते हैं?

सभी file systems समान नहीं होते हैं. Different file systems की different ways होती हैं data को organize करने की. कुछ file systems दूसरों से faster होते हैं, कुछ में additional security features होती हैं, और कुछ support करती हैं drives जिनमें बड़े storage capacities होते हैं वहीँ कुछ केवल उन्ही drives में काम करते हैं जिनकी storage capacity कम हो.

कुछ file systems ज्यादा robust और resistant होते हैं file corruption में, वहीँ दुसरे इस robustness के स्थान पर additional speed रखना ज्यादा पसंद करते हैं.

ऐसी कोई best file system मेह्जुद नहीं है जो की सभी कार्यों में best हो. प्रत्येक operating system अपनी ही file system का उपयोग करती है, जो की उस operating system developers के द्वारा बनाया गया होता है.

Microsoft, Apple, और Linux kernel developers भी काम करते हैं उनके अपने ही file systems में. नयी file systems पहले की मुकाबले ज्यादा faster, more stable, scale better करते हैं larger storage devices में, और साथ में इनमें ज्यादा features भी होती हैं पुराने के मुकाबले.

एक File System को design करते वक़्त उसमें बहुत से अलग काम भी करने होते हैं, जिन्हें की बहुत से तरीकों से किया जा सकता है. एक file system नहीं होता है एक partition के जैसे, जो की simply एक chunk होता है storage space का.

एक file system ये specify करता है की कैसे files की layout हो, उन्हें कैसे organized किया जाये, कैसे indexed किया जाये, और कैसे metadata उसके साथ associate हों. क्यूंकि चाहे आप कितना भी अच्छा File System बना लें, हमेशा improvement के लिए थोड़ी बहुत जगह अवस्य होती है.
File systems और Metadata का उसमें role

File systems इस्तमाल करते हैं metadata का files को store और retrieve करने के लिए. Metadata Tags के उदाहरण हैं.

Date created
Date modified
Last date of access
Last backup
User ID of the file creator
Access permissions
File size

Metadata को store किया जाता है separately files के contents से, जिसमें बहुत से file systems अपने file names को store करते हैं separate directory entries में. कुछ metadata को directory में रखा जाता है, वहीँ दुसरे metadata को एक structure में रखा जाता है जिसे की inode कहते हैं.

Unix-like operating systems में, एक inode ऐसे metadata को भी store करता है जो की unrelated होते हैं File के content से. यह inode index करता है information को number के हिसाब से, जिसका इस्तमाल file के location को access करने के लिए इस्तमाल किया जाता है और फिर File को भी.

एक उदाहरण ऐसे file system का जो की capitalize करता है metadata में है OS X, यह OS को इस्तमाल किया जाता है Apple के द्वारा. ये allow करता है बहुत से optimization features को, जिसमें file names भी शामिल है जिन्हें की stretch किया जा सकता है 255 characters तक.
File System Access

File systems restrict करता है read और write access को एक particular group के users को. Passwords एक बहुत ही आसान तरीका होता है इसे करने के लिए. इस बात को control कर की कौन flies को modify या read कर सकता है, restricting access ये ensure करता है की data modification controlled है और limited भी.

File permissions जैसे की access या capability control lists का इस्तमाल file system access को moderate करने के लिए किया जा सकता है. इस प्रकार की mechanisms बहुत ही useful होते हैं access को दूर करने के लिए regular users से, लेकिन ये ज्यादा effective नहीं होते हैं बाहरी intruders से रोकने के लिए.

Encrypting files से भी user access को दूर किया जा सकता है, लेकिन ये ज्यादा focused होता है systems को protect करने में outside attacks से. एक encryption key को apply किया जा सकता है इन unencrypted text को उन्हें encrypt करने के लिए, या इन key का इस्तमाल encrypted text को decrypt करने के लिए भी किया जा सकता है.

File को केवल वही users access कर सकते हैं जिनके पास key मेह्जुद हो. Encryption से, file system को ये जानने की जरुरत ही नहीं है encryption key के विषय में, उन्हें बस data को effectively manage करना होता है.
FAT और NTFS File Systems में क्या अंतर हैं?

ये सवाल अक्सर बहुत से लोग हमें पूछते हैं की FAT और NTFS File Systems में क्या अंतर होता है. तो चलिए आज जान ही लेते हैं इन दोनों file systems के बीच के अंतर के विषय में.
FAT File System

ये कोई भी security प्रदान नहीं करता है अगर user logs in करता है locally. इसमें file और folder level security permission exist ही नहीं करता है.
ये केवल supports करता है 8 characters long file name को.
ये उन partition disks के लिए suitable होता है जिनकी size कम होती है 500 MB से.
Partition और file size up to 4 GB तक हो सकती है.
ये support करता है no file compression.
इसमें Disk fragmented हो जा सकता है जिससे इसके access प्रक्रिया की गति धीमी पड़ सकती है.
ये ज्यादा reliable नहीं होती है क्यूंकि ये bad cluster mapping को support नहीं करता है.

NTFS File System

ये दोनों local और remote users को security प्रदान करता है. इसमें security प्रदान की जाती है files और folders के level में.
ये support करता है 255 characters long file name.
ये suitable होता है उन partition में जो की 500 MB से भी ज्यादा होती हैं.
Partition size इसमें up to 16 Exabyte तक हो सकती है.
ये support करता है file compression.
ये fragmentation होने की कम possibility प्रदान करता है.
ये बहुत ही ज्यादा reliable होता है क्यूंकि ये bad cluster mapping और transaction logging को support करता है.

एक typical computer user को इन सभी विषयों में ज्यादा कुछ मालूम नहीं होता है, वैसे जानना भी इतना जरुरी नहीं है – लेकिन ये transparent और simple होनी चाहिए — वहीं अगर आप इन basics को समझ सकें तब आपको ये समझ में आसानी होगी की, “ क्यूँ ये Mac-formatted drive काम नहीं करते हैं मेरे Windows PC में?” और “क्या मुझे अपने USB hard drive को format करनी चाहिए FAT32 या फिर NTFS मोड में? ” जैसे सवाल. Also Read internet ke baare mein 

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